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Showing posts from April, 2018

भारत को चाहिए हज़ारों हरि ॐ मुंजाल

लगातार विशाक्त होते जा रहे सांस्कृतिक वातावरण को ,  फिर से   सुवासित   करने के लिए भारत को चाहिए हज़ारों हरि   ॐ   मुंजाल … नाहं वसामि वैकुंठे योगिनां हृदये न च। मद्भक्ता यत्र गायन्ति तत्र तिष्ठामि नारद ।। भगवान विष्णु देवर्षि नारद से कहते हैं- मैं न वैकुंठ में निवास करता हूं ,  न ही योगियों के ह्रदय में …  मैं तो उन भक्तों के ह्रदय में निवास करता हूं ,  जहां वह तन्मय होकर ,  सब कुछ भूलकर ,   मुझे भजते हैं ,   मेरा संकीर्तन करते हैं। और इस बात की पुष्टि  ‘ स्कन्दपुराण ’  में इस भगवद वचन से श्री भगवन्नाम की महिमा और भी स्पष्ट हो जाती है … यन्नाऽस्ति कर्मजं लोके वाग्जं मानसमेव वा। यन्न क्षपयते पापं कलौ गोविन्दकीर्तनम्।।  प्रभु श्रीराम दरबार अर्थ बिल्कुल स्पष्ट है- मन ,  कर्म ,  वाणी से होने वाले जितने भी पाप होते हैं ,  वह सभी पाप श्री गोविन्द नाम संकीर्तन में विलीन हो जाते है ,  मन अश्रुपात के बाद निर्मल बनकर उभकर प्रकट होता है। ऊर्जा से भरा हुआ। योगेश्वर श्रीकृष्ण कहते हैं कि जो भक्त मुझे अनन्य भाव से भजता है ,  मैं उसके सभी पापों को हर लेता हूं।  यही मेरे प्रभु राम सु

रामचरित मानस का तारक मंत्र, हर संकट से आपको बचाएगा

दीन दयाल बिरिदु संभारी। हरहु नाथ मम संकट भारी।। प्रतिदिन 101 जाप करने से हो जाएंगे आपके सारे संकट दूर, वो भी मात्र 11 दिन में। आडंबर रहित, पूरे  भक्ति भाव से  इसका जाप कीजिए... फिर देखिए चमत्कार... ..................जय सियाराम दीन दयाल बिरिदु संभारी। हरहु नाथ मम संकट भारी।।

कल्पवृक्ष है रामचरित मान

गोस्वामी  तुलसीदास जी ने हमारे सनातन हिंदू धर्म को बचाया, इसलिए ये हमारा परम  कर्तव्य कि आज के युग में हम  रामचरित मानस को अपने परिवार का हिस्सा बनाएं...  प्रत्येक हिंदू परिवार में रामचरित मानस पढ़ा ही जाना चाहिए। क्योंकि  हम धर्म को बचाएंगे, तभी धर्म हमारी रक्षा करेगा।  हमें अगली पीढ़ी को जीवन मूल्य ट्रांसफर नहीं करेंगे, तो कौन करेगा ?  रामचरित मानस पूरे ब्रह्मांड का प्रतिबिंब है,  वेदों के ज्ञान को जानने के लिए हमें रामचरित मानस को पढ़़ना चाहिए। रामचरित मानस को हमें  स्वयं भी पढ़़ना चाहिए और दूसरों को भी प्रोत्साहित करना चाहिए।  दरअसल मानस महा संघ रामचरित  मानस के साधकों को एक मंच पर लाने का प्रयास, जिसमें आपके सहयोग की हमें नितांत आवश्यकता है।  रामचरित मानस पढ़कर तो देखें, निश्चित ही आपकी सभी समस्याएं  फुर्र हो जाएंगी। ये तो मानस में स्वयं ही प्रभु ने वचन दिया हुआ है।  सकल सुमंगल दायक रघुनायक  गुन गान।  सादर सुनहिं ते तरहिं भव सिंधु बिना जलजान॥ मानस के अमृत को पीकर देखें और अपने अनुभव विश्व को बताएं, हम  मानस के आपके अनुभव को प्रकाशित कर भारतवर्ष को बताएं