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रामचरित मानस का तारक मंत्र, हर संकट से आपको बचाएगा

दीन दयाल बिरिदु संभारी। हरहु नाथ मम संकट भारी।।


प्रतिदिन 101 जाप करने से हो जाएंगे आपके सारे संकट दूर, वो भी मात्र 11 दिन में। आडंबर रहित, पूरे भक्ति भाव से इसका जाप कीजिए... फिर देखिए चमत्कार.....................जय सियाराम

दीन दयाल बिरिदु संभारी। हरहु नाथ मम संकट भारी।।

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सुंदरकांड- चमत्कारिक प्रभाव देने वाला काव्य  सुंदरकांड को समझ कर उसका पाठ करें तो हमें और भी आनंद आएगा। सुंदरकांड में 1 से 26 तक जो दोहे हैं , उनमें शिवजी का अवगाहन है , शिवजी का गायन है , वो शिव कांची है। क्योंकि शिव आधार हैं, अर्थात कल्याण। जहां तक आधार का सवाल है , तो पहले हमें अपने शरीर को स्वस्थ बनाना चाहिए , शरीर स्वस्थ होगा तभी हमारे सभी काम हो पाएंगे। किसी भी काम को करने के लिए अगर शरीर स्वस्थ है तभी हम कुछ कर पाएंगे , या कुछ कर सकते हैं। सुंदरकांड की एक से लेकर 26 चौपाइयों में तुलसी बाबा ने कुछ ऐसे गुप्त मंत्र हमारे लिए रखे हैं जो प्रकट में तो हनुमान जी का ही चरित्र है लेकिन अप्रकट में जो चरित्र है वह हमारे शरीर में चलता है। हमारे शरीर में 72000 नाड़ियां हैं उनमें से भी तीन सबसे महत्वपूर्ण हैं। जैसे ही हम सुंदरकांड प्रारंभ करते हैं- ॐ श्री परमात्मने नमः, तभी से हमारी नाड़ियों का शुद्धिकरण प्रारंभ हो जाता है। सुंदरकांड में एक से लेकर 26 दोहे तक में ऐसी ताकत है , ऐसी शक्ति है... जिसका बखान करना ही इस पृथ्वी के मनुष्यों के बस की बात नहीं है। इन दोहों में

कल्पवृक्ष है रामचरित मान

गोस्वामी  तुलसीदास जी ने हमारे सनातन हिंदू धर्म को बचाया, इसलिए ये हमारा परम  कर्तव्य कि आज के युग में हम  रामचरित मानस को अपने परिवार का हिस्सा बनाएं...  प्रत्येक हिंदू परिवार में रामचरित मानस पढ़ा ही जाना चाहिए। क्योंकि  हम धर्म को बचाएंगे, तभी धर्म हमारी रक्षा करेगा।  हमें अगली पीढ़ी को जीवन मूल्य ट्रांसफर नहीं करेंगे, तो कौन करेगा ?  रामचरित मानस पूरे ब्रह्मांड का प्रतिबिंब है,  वेदों के ज्ञान को जानने के लिए हमें रामचरित मानस को पढ़़ना चाहिए। रामचरित मानस को हमें  स्वयं भी पढ़़ना चाहिए और दूसरों को भी प्रोत्साहित करना चाहिए।  दरअसल मानस महा संघ रामचरित  मानस के साधकों को एक मंच पर लाने का प्रयास, जिसमें आपके सहयोग की हमें नितांत आवश्यकता है।  रामचरित मानस पढ़कर तो देखें, निश्चित ही आपकी सभी समस्याएं  फुर्र हो जाएंगी। ये तो मानस में स्वयं ही प्रभु ने वचन दिया हुआ है।  सकल सुमंगल दायक रघुनायक  गुन गान।  सादर सुनहिं ते तरहिं भव सिंधु बिना जलजान॥ मानस के अमृत को पीकर देखें और अपने अनुभव विश्व को बताएं, हम  मानस के आपके अनुभव को प्रकाशित कर भारतवर्ष को बताएं